kisika payara khilina toot jaye to aankh se aansu nikal padte hain
ya pawardigar aaj ye kya tootajo aamkh se lahoo behne laga
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मां
मां बस एक मां होती हैं
उसके जायो मे उसकी जान हौती हैं
कौन कहता है वो बेटा बेटी मे भेद कराकर
पयार को अपने चुरा लगाया
बेटे को झनंनत बेटी को यम द्वार पहुंचाय
रूप मां का थरो तो जानो
खून को दुभ करो तो जानो
यह अमृत की यह तुम बना नही सकते
कोई कार उद्योग तुम पा नही सकते
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नफ़रत
नफ़रत की गंध इस तरह फैल गई
फूलों की गंध भी उसमे नहीं मिल पाई
ड़ेंगू मलेरिया या हो चिकनगुनिया
केंसर पार्किनसन या हो एड्स
इनसे तो डॉक्टर मुक्त करा देंग
पर आपसी स्पर्धा में मुक्त कर नफरत। बढ़ा देंगे
शत शत नमन उस भाई को
जिसने नफ़रत का बीज बनाया
नष्ट नहीं हो इसका कोई कोना
ऐसा सुरक्षा कवच चारों ओर लिपटाय
पर है मानव नफरत के चाहे जितने बीज बनाता
पर इस नफरत रूपी ज़हर से रिश्तों को बचाता
पूत्र पिता से पुत्री अपनी जननी से एक सुर ऊपर उठाती है
उस समय माँत पिता की दृष्टि झुक जाती हैं
जब भाई भाई बिन।मेहनत पिता के खून पसीने को तोलते
औऱ बूत बना पिता आंखों में मोतियों की झड़ी लगते हैं
माँ अपने पति के सिर को सहलाते हुए कुछ नहीं कह पाती
पर अपनी आंखों को दब दबाते हुए वो सब कुछ कह दिया
देख मानव नफ़रत का बीज बोया पर प्रेम ने उसे बिना बोले धोया
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कश्मीर और आतंकवाद
09:07 | Labels: आतंकवाद | 0 Comments